दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ITU विश्व दूरसंचार मानकीकरण असेंबली 2024 का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2024 में नई दिल्ली में ITU (International Telecommunication Union) विश्व दूरसंचार मानकीकरण असेंबली 2024 का उद्घाटन किया। यह एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है, जिसमें दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी के मानकीकरण और नवाचार पर चर्चा की जाती है। ITU संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जो वैश्विक स्तर पर दूरसंचार मानकों को स्थापित करने और उन्हें लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
विश्व दूरसंचार मानकीकरण असेंबली (World Telecommunication Standardization Assembly – WTSA) हर चार साल में आयोजित होती है। इसमें वैश्विक दूरसंचार मानकों को तय करने, तकनीकी विकास, और दूरसंचार सेवाओं के लिए रणनीतिक दिशा तय करने पर चर्चा होती है। यह सभा 5G, 6G, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर भी विचार करती है।
भारत में इस आयोजन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम में से एक है। इस असेंबली का आयोजन भारत की डिजिटल उपलब्धियों और उसके नेतृत्व को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने का एक अवसर भी है। इसमें दुनिया भर के विशेषज्ञ, सरकारी प्रतिनिधि, उद्योग के प्रमुख, और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो दूरसंचार उद्योग के भविष्य को आकार देने में मदद करते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन के दौरान भारत के डिजिटल विकास, कनेक्टिविटी के विस्तार, और नए तकनीकी नवाचारों पर जोर दिया, जो कि भारत को एक “डिजिटल महाशक्ति” के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
ITU (International Telecommunication Union) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, जो सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) से संबंधित मुद्दों पर काम करती है। इसकी स्थापना 1865 में हुई थी, और यह दुनिया की सबसे पुरानी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक है। ITU का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
ITU के मुख्य कार्य:
1.मानकीकरण (Standardization): ITU दूरसंचार और ICT के लिए वैश्विक मानकों को विकसित करता है, जो विभिन्न देशों और कंपनियों के बीच कनेक्टिविटी और संचार को सुनिश्चित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि अलग-अलग तकनीकी सिस्टम एक-दूसरे के साथ संगत हों और वे आसानी से आपस में संवाद कर सकें।2.स्पेक्ट्रम आवंटन (Spectrum Allocation): ITU रेडियो स्पेक्ट्रम और उपग्रह ऑर्बिट्स को आवंटित करता है, जिससे विश्व स्तर पर संचार सेवाओं, जैसे मोबाइल नेटवर्क, टेलीविज़न, रेडियो और उपग्रह सेवाओं, के सुचारू संचालन को सुनिश्चित किया जा सके।
3.विकास (Development): ITU विकासशील देशों की सहायता करता है ताकि वे अपने दूरसंचार नेटवर्क को सुधार और विस्तार कर सकें। यह डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण, और नीति मार्गदर्शन प्रदान करता है। 4.साइबर सुरक्षा (Cybersecurity): ITU साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी काम करता है, और इसके माध्यम से इंटरनेट और डिजिटल नेटवर्क की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं।
5.मानवता के लिए दूरसंचार का उपयोग (Telecommunication for Humanity): ITU आपातकालीन स्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं में संचार सेवाओं की भूमिका को बढ़ाने पर भी काम करता है, ताकि लोगों को जल्दी से मदद मिल सके।
ITU की संरचना:
ITU तीन मुख्य क्षेत्रों में काम करता है:
1.ITU-T (Telecommunication Standardization Sector): यह क्षेत्र दूरसंचार मानकों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। यहां पर विभिन्न तकनीकी मानकों पर चर्चा की जाती है, जिससे टेलीकॉम और इंटरनेट सेवाओं में सुधार हो सके।
2.ITU-R (Radiocommunication Sector): यह क्षेत्र रेडियो संचार सेवाओं के लिए आवृत्ति स्पेक्ट्रम के वैश्विक प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह रेडियो और वायरलेस संचार के लिए तकनीकी मानकों और आवृत्तियों को निर्धारित करता है।
3.ITU-D (Development Sector): यह क्षेत्र विकासशील देशों की संचार सुविधाओं के विकास में सहायता करता है। ITU-D का उद्देश्य दुनिया भर में संचार सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है।
ITU का वैश्विक प्रभाव:
ITU का मुख्य उद्देश्य वैश्विक संचार के लिए एक समान मंच तैयार करना है। इसके सदस्य देशों में सरकारें, प्राइवेट कंपनियां, शिक्षाविद, और अन्य संगठन शामिल होते हैं। ITU हर चार साल में वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन कॉन्फ्रेंस (WTSA) और अन्य तकनीकी सम्मेलनों का आयोजन करता है, जहां वैश्विक दूरसंचार नीति और मानकों पर निर्णय लिए जाते हैं।
ITU के कामों का असर हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी पर पड़ता है, जैसे मोबाइल फोन, इंटरनेट कनेक्शन, सैटेलाइट टीवी, और बहुत कुछ।