जिसे मुस्लिम कहते हैं संभल की जामा मस्जिद, उस हरि मंदिर में सपा सरकार ने बंद करवाई थी पूजा: बीजेपी MLA ने दिखाए मैप-फोटो, ASI ने भी माना इमारत में बार-बार हुए बदलाव
उत्तर प्रदेश स्थित संभल के जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के मेरठ सर्किल में पुरातत्वविद अधीक्षक विनोद सिंह रावत ने एक हलफनामे दायर किया है। इस हलफनामे में कहा गया है कि ASI अधिकारियों को निरीक्षण के लिए मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं दी गई। इसके साथ ही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने मस्जिद के अंदर कई हस्तक्षेप एवं बदलाव किए हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि ASI की एक टीम ने विवादित मस्जिद का साल 1998 में और फिर जून 2024 में निरीक्षण किया था। पत्रकार राहुल शिवशंकर द्वारा सोशल मीडिया साइट X पर शेयर किए गए हलफनामे की कॉपी में कहा गया है, “एएसआई के लिए भी स्थिति बहुत कठिन है। ASI के अधिकारियों को भी निरीक्षण के लिए स्मारक में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।”
हलफनामे में आगे कहा गया है, “हालाँकि, जिला प्रशासन के सहयोग से ASI ने समय-समय पर स्मारक (जामा मस्जिद) का निरीक्षण किया। ASI की एक टीम ने साल 1998 में स्मारक का निरीक्षण किया था। एएसआई टीम द्वारा स्मारक का सबसे हालिया निरीक्षण 25 जून, 2024 को किया गया था। निरीक्षण नोट की एक प्रति भी अनुलग्नक-I के रूप में संलग्न है।”
विनोद सिंह रावत ने आगे कहा है कि संभल के जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने विवादित मस्जिद में कई तरह के हस्तक्षेप और बदलाव किए हैं। मस्जिद प्रबंधन समिति ने ASI टीम को निरीक्षण करने से रोक दिया है। इस तरह ASI को मस्जिद की वर्तमान स्थिति के बारे में पता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ASI के पास इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है कि मस्जिद में कोई अतिरिक्त निर्माण किया गया था या नहीं।
हलफनामे में आगे लिखा है, “अनुच्छेद 32 और 33 के जवाब में यह प्रस्तुत किया गया है कि स्मारक से जुड़ी मस्जिद प्रबंधन समिति ने स्मारक में विभिन्न हस्तक्षेप, परिवर्धन, संशोधन आदि किए हैं। जून 2024 के महीने में ASI के अधिकारियों द्वारा किए गए निरीक्षण में स्मारक में किए गए कुछ हस्तक्षेपों को दर्ज किया गया है। उक्त निरीक्षण नोट की एक प्रति कृपया अनुलग्नक-I में देखी जा सकती है।”
इसमें आगे कहा गया है कि ASI टीम को इसके नियमित निरीक्षण से रोक दिया गया है। विनोद सिंह रावत ने अपने हलफनामे में यह भी बताया है कि इस मस्जिद में जब भी किसी आधुनिक हस्तक्षेप या बदलाव की गतिविधि देखी गई तो स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और इसके जिम्मेदार लोगों एवं संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए।
इस तरह जामा मस्जिद की वर्तमान स्थिति और उसमें किए गए बदलाव के बारे में ASI को जानकारी नहीं है। इस मामले में यह हलफनामा बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि 22 दिसंबर 1920 को अधिनियम की धारा 3(3) के तहत संयुक्त प्रांत सरकार ने अधिसूचना जारी करके विवादित स्थल को संरक्षित स्मारक घोषित किया था।
सपा सरकार से पहले हरिहर मंदिर में होती थी पूजा-अर्चना
वहीं, देवरिया से भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया साइट X पर जामा मस्जिद का पुराना नक्शा और कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इनमें कुछ महिलाओं को पूजा करते हुए देखा जा सकता है। त्रिपाठी का कहना है कि साल 2012 की सपा सरकार से पहले जामा मस्जिद में पूजा और शादी-विवाह होते थे।
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “इसकी (पूजा-अर्चना और शादी-विवाह की) पुरानी तस्वीरें भी हैं। सपा सरकार में MP शफीकुर्रहमान बर्क़ के दबाव में पूजा-अर्चना रूकवा दी गई। हरि मंदिर को पूरी तौर पर जामा मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। सरकारी गजट से लेकर तमाम लेखों में यहाँ हिंदू मंदिर का ज़िक्र है। यही वजह है कि आज कुछ लोगों को सर्वे से डर लगता है!”