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    Home»ब्रेकिंग न्यूज़»नए आयोग से भी सुलझी नहीं बेरोजगारी की पहेली
    ब्रेकिंग न्यूज़

    नए आयोग से भी सुलझी नहीं बेरोजगारी की पहेली

    prashant deepakBy prashant deepakJune 15, 2025No Comments9 Mins Read
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    – शिक्षकों की एकीकृत भर्ती के लिए बना उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग गठन के 22 महीने के बाद भी नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने में विफल.

    – शिक्षक भर्ती में देरी ने युवाओं को धरने पर बैठने के लिए किया मजबूर.

    प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की बाट जोह रहे लाखों युवाओं का धैर्य जब जवाब दे गया तब उन्होंने आंदोलन का रास्ता चुना.

    45 डिग्री के आसपास घूमते पारे में गमछे-तौलिए से पसीना पोछते हजारों अभ्यर्थी प्रयागराज के एलनगंज में शिक्षा सेवा चयन आयोग के दफ्तर के बाहर 28 मई से बेमियादी धरने पर बैठ गए.

    कभी यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का दफ्तर रही सफेद रंग की इमारत अब शिक्षा सेवा चयन आयोग के मुख्यालय में तब्दील हो गई है

    लेकिन जो नहीं बदला है, वह है नौकरी की मांग को लेकर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन.

    प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर अभ्यर्थी दिन-रात आयोग के मुख्य दरवाजे के बाहर डटे रहे.

    उनके नारों की तख्तियां देखिए जराः

    – डीएलएड वालों ने ठाना है, नई शिक्षक भर्ती लेकर ही घर जाना है;

    – हमें आश्वासन नहीं, नई प्राथमिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन चाहिए;

    – जुल्मी कब तक जुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से, चप्पा चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से.

    अभ्यर्थियों की दलील है कि हर साल औसतन 2.35 लाख छात्र डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) का प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं.

    पिछले सात साल से 16 लाख प्रशिक्षु बेरोजगार हैं और शिक्षक बनने की अपनी आशा खोते जा रहे हैं.

    प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे डीएलएड संयुक्त प्रशिक्षित मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष *रजत सिंह* कहते हैं, “परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर पिछले सात साल से कोई भर्ती नहीं हुई है.

    पिछली बार 2018 में 69,000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था.

    शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन हुए दो साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन अभी तक शिक्षक भर्ती शुरू नहीं हो पाई है.”

    लगातार 14 दिन भूखे-प्यासे धरना देने के बाद 10 जून को शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष *कीर्ति पांडेय* से वार्ता करने के बाद माने और प्रदर्शन समाप्त किया.

    उसी दिन आयोग ने 18 और 19 जून को होने वाली प्रवक्ता भर्ती परीक्षा (पीजीटी) को तीसरी बार स्थगित कर दिया.

    आयोग के इस फैसले से करीब
    साढ़े चार लाख अभ्यर्थियों में एक बार फिर नाराजगी की लहर दौड़ गई.

    उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष के कई आरोपों का जवाब मुख्यमंत्री *योगी आदित्यनाथ* ने यह कहकर दिया था कि

    यूपी में दोबारा सरकार बनने पर बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती की जाएगी.

    दोबारा उनकी सरकार बनी तो उन्होंने शिक्षकों की एकीकृत भर्ती के लिए एक आयोग बनाने की घोषणा की. इस पर तेजी से अमल हुआ.

    विधान मंडल से 21 अगस्त, 2023 को पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम, 2023 के जरिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन हुआ.

    लेकिन इसके बाद काम सुस्त पड़ गया.

    यही कोई आठ महीने बाद आयोग के कुल 12 सदस्यों का चयन 14 मार्च, 2024 को हुआ और इसके बाद अध्यक्ष की नियुक्ति होने में पांच महीने से ज्यादा लग गए.

    5 सितंबर, 2024 को अध्यक्ष *प्रोफेसर कीर्ति पांडेय* ने कार्यभार संभाला. इस बीच स्थायी सचिव के रूप में *मनोज कुमार* ने 18 जुलाई, 2024 को ज्वाइन किया.

    इस आयोग में उप सचिव के चार पद सृजित हैं, फिर भी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के उप सचिव *शिवजी मालवीय* वर्ष भर इस आयोग में अकेले काम करते रहे.

    साल भर बाद 12 अप्रैल, 2025 को एक और उप सचिव *विकास सिंह* की तैनाती हुई और दो पद अभी भी खाली हैं.

    *रजत सिंह* बताते हैं, “आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का है जिसमें सभी सदस्यों के कार्यकाल का सवा साल पूरा हो चुका है और चेयरमैन का साल भर पूरा होने को है.

    ऐसे में यह नया आयोग भी अपने उद्देश्य से भटक चुका है.”

    बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती शुरू करने के लिए इस आयोग के प्रतिनिधियों और बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों के बीच यही कोई 10 बैठकें हो चुकी है

    सभी का नतीजा अभी तक शून्य ही रहा है.

    अभी तक इसी पर सहमति नहीं बन पाई है कि किस ढंग से और दरअसल कितने पदों को रिक्त माना जाए.

    इस तरह यूपी शिक्षा विभाग और शिक्षा सेवा चयन आयोग के बीच समन्वय की कमी के कारण 50,000 से ज्यादा पदों पर भर्तियां अटकी पड़ी हैं.

    इस आयोग के उपसचिव *शिवजी मालवीय* बताते हैं, “उच्चतर शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मेरी बातचीत हुई है और वे शिक्षकों के अधियाचन (पद और उनकी रिक्तियों का ब्यौरा) देने को तैयार हैं.

    अटल आवासीय और व्यावसायिक शिक्षकों की नियमावली शासन में मंजूरी के लिए गई है.

    अनुमति मिलते ही इन शिक्षकों का भी अधियाचन मिल जाएगा.

    लेकिन इनके प्रतिनिधि मीटिंग मे नही आ रहे है एसे मे हम वार्ता भी करें तो किसके साथ ? इसके लिए मैंने कमिशनर को चिट्ठी लिखी है.”

    बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों के कितने पद खाली हैं, यह जानकारी संबंधित विभागों के पास नहीं है.

    आयोग के एक अधिकारी बताते हैं, “विभागों को ही आरक्षण वगैरह का निर्धारण करना है.

    संबंधित कॉलेजों से रिक्त पदों की सूचना शिक्षा विभाग को ही इकट्ठा करनी है.

    इसके बावजूद शिक्षा विभाग नई भर्ती शुरू करने के लिए आयोग को रिक्त पदों का ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा पा रहा.

    विभाग जैसे ही यह मुहैया कराएगा, आयोग चयन प्रक्रिया शुरू कर देगा.

    ” माध्यमिक शिक्षा निदेशक *डॉ. महेंद्र देव* ने आयोग को चिट्ठी लिखकर पूछा है कि रिक्त पदों का ई-अधियाचन किस प्रारूप में देना है.

    उधर आयोग का कहना है कि आयोग का काम केवल भर्ती परीक्षा कराना और अभ्यर्थियों का चयन करना है.

    ऐसे में आयोग अपना कोई प्रारूप कैसे निर्धारित कर सकता है?

    विभाग आरक्षण का निर्धारण करते हुए जितने पदों का अधियाचन भेजेंगे, आयोग उतने पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी कराएगा.

    फिलहाल, अधियाचन के प्रारूप को लेकर शिक्षा विभाग और उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के बीच गतिरोध बना हुआ है.

    ऐसे में आयोग पूर्व संस्थानों उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) और प्रवक्ता संवर्ग (पीजीटी) भर्ती के आवेदनों के क्रम में परीक्षा आयोजन को लेकर व्यस्त है.

    इस तरह आयोग के गठन के करीब दो साल में केवल बैकलॉग भर्तियां ही निबटाई जा रही हैं.नई शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थियों का इंतजार जारी है.

    महानिदेशक, शिक्षा, *कंचन वर्मा* बताती हैं, “शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग को अधियाचन भेजा जा रहा है.”

    इसके अलावा प्रदेश में चार साल से शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) न कराए जाने से भी युवाओं में रोष है.

    नवंबर 2021 में पेपरलीक के कारण उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी)-2021 दोबारा 23 जनवरी, 2022 को कराई जा सकी थी.

    इसका नतीजा 8 अप्रैल, 2022 को घोषित किया गया था, जिसमें 6,60,592 अभ्यर्थी पास हुए थे.

    इन अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती का मौका नहीं मिला और इनके प्रमाणपत्र भी धूल फांक रहे हैं.

    उधर, नवगठित आयोग को टीईटी कराने की जिम्मेदारी मिली है लेकिन परीक्षा के फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे.

    यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष *कीर्ति पांडेय* ने बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव को चिट्ठी लिखकर धरने पर बैठे अभ्यर्थियों की मांगों से अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

    सरकारी बेसिक स्कूलों में सुधरता छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) भी शिक्षकों की नई भर्ती में बाधा है.

    केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप प्राइमरी स्कूलों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए और अपर प्राइमरी स्कूलों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक.

    यूपी में शिक्षा मित्रों को जोड़ने पर सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 22 छात्रों पर एक शिक्षक है

    जबकि शिक्षा मित्रों को हटाने पर 28 छात्रों पर एक शिक्षक का अनुपात बैठ रहा है.

    इस तरह पीटीआर का निर्धारित मानक से कम होना नए शिक्षकों की नियुक्ति की संभावना को कमजोर कर रहा है.

    *कंचन वर्मा* बताती हैं, “कुछ स्कूलों में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या ज्यादा है और कई स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों के अनुपात में शिक्षक कम हैं.

    समायोजन के जरिए शिक्षकों की तैनाती में इस विसंगति को दूर किया जा रहा है. *फिलहाल प्राइमरी स्कूलों में नए शिक्षकों की जरूरत नहीं* है.”

    इस तरह यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग की नई भर्ती प्रक्रिया फिलहाल *कई अड़चनों में फंस चुकी* है.

    *शिक्षा सेवा चयन आयोग की जिम्मेदारी*

    – यूपी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के तहत शासित किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों, सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक महाविद्यालयों के शिक्षकों की भर्ती.

    – इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के तहत शासित अशासकीय सहायता प्राप्त इंटररमीडिएट कॉलेजों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों, हाइस्कूलों या उनसे संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की भर्ती.

    – इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के तहत आने वाले अशासकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक इंटररमीडिएट कॉलेजों या अल्पसंख्यक उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों या अल्पसंख्यक हाइस्कूलों या उनसे संबद्ध अल्पसंख्यक प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक.

    – उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् की ओर से संचालित एवं प्रबंधित विद्यालयों तथा परिषद् के अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाइस्कूलों तथा संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों एवं अशासकीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक जूनियर हाइस्कूलों तथा संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की नियुक्ति.

    – अटल आवासीय विद्यालय समिति की ओर से संचालित संस्थाओं के अध्यापकों के चयन अथवा उत्तर प्रदेश सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (अनुदेशक और फोरमैन) सेवा नियमावली, 2021 के अधीन सर्टिफिकेट स्तरीय राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के इंस्ट्रक्टरों का चयन.

    – उत्तर प्रदेश अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) संचालित और आयोजित करने की जिम्मेदारी भी उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को ही सौंपी गई है.

    “आयोग की अभ्यर्थियों के साथ पूरी सहानुभूति है. शिक्षकों के रिक्त पदों का अधियाचन भेजने पर मैंने स्वयं बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों से बात की है. जल्द ही इसका सकारात्मक नतीजा निकलेगा.”

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