जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर गठित हो एग्रीकल्चर काउंसिल, तभी होंगे कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार: वरिष्ठ कृषि पत्रकार श्री संजीब मुखर्जी
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित वैल्यू एडेड कोर्स में आज मुख्य वक्ता वरिष्ठ कृषि पत्रकार संजीब मुख़र्जी रहे। वो वर्तमान में संपादक (कृषि) बिजनेस स्टैंडर्ड न्यूजपेपर, नई दिल्ली के पद पर कार्यरत हैं।
श्री मुर्खजी ने कहा कि भारत में राजनीतिक अर्थशास्त्र में कृषि की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भूमि सुधार कानून, किसान आंदोलन हमेशा से राजनीतिक परिवर्तन का आधार बने हैं।
उन्होंने कहा कि आम चुनाव 2024 के नतीजे का विश्लेषण करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ताधारी दल का जन आधार धीरे-धीरे खिसक रहा है। इस मुद्दे पर सत्ताधारी दल को सूचना होगा।
अगर देखें तो विगत दो दशक में कृषि क्षेत्र का विकास 4% के आसपास रहा है लेकिन इसका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 17 से 18% ही रहा है। जबकि कृषि क्षेत्र पर 44% से ज्यादा लोग निर्भर करते हैं। अगर हम एनएसएस सर्वे के अनुसार कृषि से आय 42% से गिरकर 37% रह गई है। इसीलिए कई लोग कह रहे है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान धीरे-धीरे मजदूर बनता जा रहा है। आज की आवश्यकता है कि ग्रामीण इलाकों में ग़ैर-कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाए और ग्रामीण उद्योगों, कृषि आधारित उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा दिया जाए। जैसे उत्तर प्रदेश में गन्ना से संबंधित एथेनॉल व अन्य उद्योग। इसके साथ ही फार्मर्स प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन (FPO) के जरिए क्लस्टरिजेशन पर जोर दिया जाए।
*फ्रीबीज कृषि क्षेत्र की समस्या का सतत समाधान नहीं*
श्री मुखर्जी ने कहा कि कर्ज माफी, प्रधानमंत्री पीएम सम्मान निधि तथा अन्य फ्रीबीज निश्चित रूप से कृषि क्षेत्र की समस्या का सतत समाधान नहीं है।
*गठबंधन की सरकारों ने लिए निर्भीक निर्णय व लागू किए महत्वपूर्ण सुधार*
श्री मुखर्जी ने विश्वास व्यक्त किया की नई गठबंधन की सरकार आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण कृषि सुधार के निर्णय लेगी। राजनीतिक इतिहास को देखें तो हमेशा से जो गठबंधन की सरकार रही हैं उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण व निर्भीक निर्णय लिए है। उन्होंने नरसिम्हा राव तथा मनमोहन सिंह सरकार का उदाहरण देते हुए कहा। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की तरह संघवाद को मजबूत करते हुए तथा कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने के लिए एग्रीकल्चर काउंसिल जैसे फ्रेमवर्क को अपनाना चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार सिंह ने की। कार्यक्रम संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने किया।