गोरखपुर
रिपोर्टर-सचिन यादव
आस्था के महापर्व छठ की धूम, व्रती महिलाओं ने अस्त होते सूर्य को किया प्रणाम
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ जिसकी महत्वता आज बिहार से शुरू होकर पूरे भारतवर्ष में फैल चुकी है। कभी इसे बिहार का क्षेत्रीय पर्व माना जाता था ।लेकिन आज भारतवर्ष सहित विदेश में भी इसकी धूम मची हुई है।
पुत्र की दीर्घायु और सुख, संपन्नता के लिए रहे जाने वाले छठ व्रत में महिलाएं बड़ी ही स्वच्छता और साफ सफाई से तैयारी शुरू करती है। तीन दिन पहले से ही नहाए खाए के साथ इसकी शुरुआत होती है, अगले दिन खरना, एक विशेष प्रकार का पकवान जिसे मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। उसे खाकर महिला 36 घंटे का लंबा उपवास रखती है, प्रथम दिन अस्त होते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही अगले दिन उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के प्रथा रही है। इसके पश्चात इस व्रत की समाप्ति होती है।
बात करें गोरखपुर की तो यह पूर्वांचल का एक बहुत महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। जो बिहार से भी सटा हुआ है, यहां छठ पर्व की धूम हमेशा से रही है। चाहे गोरक्ष पीठाधीश्वर हो या गोरक्षनाथ मंदिर राप्ती तट सहित विभिन्न घाटों पर पर हजारों की संख्या में व्रती महिलाएं घाट के किनारे पहुंच कर सूर्य की आराधना करते हुए उन्हें अर्घ्य देती हैं।
वही गोरखपुर जिले के नगर पंचायत पीपीगंज के वार्ड नंबर 2 में स्थित किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर व किन्नर आयोग की सदस्य कनकेश्वरी नंद गिरी उर्फ किरण बाबा ने घर से लेकर छठ घाट तक लेटते हुए पहुची ।
वही किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नन्द गिरी ने कहा कि यह छठ व्रत अपने जजमानों के उज्ज्वल दीर्घायु के लिए रखती हूं ताकि हमारे जजमान स्वस्थ्य रहे खुशहाल रहे और मैं छठी मैया से प्रार्थना करती हूं कि हमारे जजमानों की रक्षा करे।
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर व किन्नर आयोग की सदस्य कनकेश्वरी नंद गिरी ने कहा कि छठ व्रत रहने वाली महिलाओं की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज भी महिलाओं ने अपने हाथों से बनाई गई बेदी पर छठ घाट पर पहुंचकर सूर्य की उपासना करते हुए अर्घ्य दिया और पूरे परिवार सहित समस्त समाज के कल्याण की कामना की।