गोरखपुर: पटना और गोरखपुर एम्स के पूर्व निदेशक डाक्टर जीके पाल पर आरोप है कि उन्होंने ओबीसी के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर पुत्र डाक्टर ओरो प्रकाश पाल को गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाया. ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाते हुए नॉन क्रीमी लेयर का लाभ लिया. 27 अप्रैल को एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक के आवास के पते से प्रमाण पत्र बनवाया गया. इसमें अपनी और पत्नी की सालाना आय ₹8 लाख बताई गई, जबकि दोनों का पैकेज 80 लाख रुपए से ज्यादा है. बेटे ने ज्वाइन करने के चार दिनों के अंदर ही सीट छोड़ दी. पिछले वर्ष दिसंबर में जारी किया गया प्रमाण पत्र उनके अस्थाई पते पर बनाया गया था, जबकि उनके स्थाई पता उड़ीसा का है. इसके अलावा उन्होंने दूसरी बार यही गलती दोहराते हुए अपनी बेटी का भी ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाकर उसे एम्स पटना में दाखिला करवाया है. इसके पहले गोरखपुर एम्स की कार्यकारी निदेशक रही डॉक्टर सुरेखा किशोर को भी दोनों बेटों की नियुक्ति गोरखपुर एम्स में करने की वजह से कार्यकाल के 18 माह पहले ही कुर्सी का गवानी पड़ी थी.
एम्स गोरखपुर के सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर गौरव गुप्ता ने 5 सितंबर को जनसुनवाई पोर्टल पर इसकी शिकायत दर्ज कराई थी.
गोरखपुर एम्स के पीआरओ डा. अरूप मोहंती ने बताया कि उनके पुत्र को गोरखपुर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाया गया था. हालांकि ज्वाइन करने के बाद ही उन्होंने शिकायत और विवाद के बाद पद छोड़ दिया था