कोर्ट ने अपने लिखित आदेश में कहा है कि निशिकांत दुबे का बयान बेहद ग़ैर जिम्मेदाराना और बकवास है।
यह बयान कोर्ट पर आरोप लगाकर लोगों को ध्यान खींचने की कोशिश है। यह बयान दर्शाता है कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है कि संवैधानिक कोर्ट किस तरह काम करते है।
कोर्ट ने हालांकि निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने से इंकार कर दिया, लेकिन कहा है कि साम्प्रदायिक आधार पर नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ बयानबाजी वालों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।