संवाददाता: शिशिर श्रीवास्तव
गोरखपुर। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर हुए ऑपरेशन सिंदूर में कई आतंकी मारे गए हैं. ऐसे में सुरक्षा उपाय को देखते हुए यूपी के गोरखपुर के लोगों के लिए बुधवार का दिन खास रहा. लोगों ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के हालात में गोरखपुर में किए गए ब्लैक आउट को आज महसूस किया.
युद्ध के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए गोरखपुर के अलग-अलग स्कूल-कॉलेज और स्थानों पर, गोरखपुर के तारामंडल में नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) की ओर से युद्ध के हालात में खुद की सुरक्षा, बमबारी के समय घायलों के रेस्क्यू और लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए मॉक ड्रिल किया गया. शहर के दक्षिणी छोर तारामंडल के एक किलोमीटर के दायरे में आयोजित इस मॉक ड्रिल में सिविल डिफेंस के साथ इंडियन एयर फोर्स और अग्निशमन विभाग, स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों ने भी समन्वय स्थापित किया.
गोरखपुर के रामगढ़ ताल स्थित महंत दिग्विजय नाथ पार्क समेत तारामंडल सर्किट हाउस समेत पूरे शहर में बुधवार की शाम रोज की तरह सामान्य नहीं थी. शाम के 7 बजते ही इस इलाके के एक किलोमीटर के दायरे तक की बिजली गुल हो गई. अभी कोई कुछ समझ पाता तब तक नागरिक सुरक्षा के सायरन की आवाज चारों तरफ गूंज उठी. नागरिक सुरक्षा के वार्डेन सड़को पर दिखाई देने लगे. वार्डेन पब्लिक अनाउंस सिस्टम से लोगों से आग्रह कर रहे थे कि किसी प्रकार की भी लाइट या रौशनी चालू न रह जाए. अभी लोग समझ पाते कि लड़ाकू विमान की गरज से पूरे इलाके के लोग सहम गए. रामगढ़ताल क्षेत्र के ऊपर से कई बार लड़ाकू विमान के गुजरने और नागरिक सुरक्षा के सायरन सुन किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सताने लगी. इसी बीच नागरिक सुरक्षा के वार्डेन, फायर टीम, पुलिस के जवान महन्त दिग्विजय नाथ पार्क, सर्किट हाउस व एनेक्सी भवन की तरफ दौड़े. वहां से हमले के बाद आग लगने व लोगों के घायल होने की सूचना मिली थी.
चौकिए मत यह कोई असल का हमला नहीं बल्कि हवाई हमले से बचाव का ब्लैकआउट (प्रकाश प्रतिबंध) अभ्यास था. इस अभ्यास के दौरान संवेदनशील क्षेत्र में नागरिक सुरक्षा विभिन्न विभागों के साथ संयुक्त तौर पर आपातकाल के समय बचाव की तैयारी को परखता है. उस क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया जाता है. जब तक कि हमले का खतरा टल जाने का सायरन दोबारा ध्वनित न कर दिया जाए. इस दौरान लाइट बंद कर दी जाती हैं, जिससे हवाई हमले करने वाले लड़ाकू विमान के पायलट आबादी वाले इलाकों या यूं कहें कि शहर के लोकेशन को लेकर भ्रमित हो जाएं.
गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र स्थित दिग्विजयनाथ पार्क में बुधवार को ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसे देखकर लोग कुछ क्षणों के लिए सन्न रह गए. ब्लैकआउट और एयर रेड मॉकड्रिल ने सभी को चौंका दिया. इस दौरान एयरफोर्स गोरखपुर ने लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया, जिसे देखकर ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कोई असली आपातकालीन स्थिति पैदा हो गई हो. नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों ने आग लगने की स्थिति में अग्निशमन वाहन से आग बुझाने, घायलों को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा देने और अन्य आपात प्रबंधन कार्यों का जीवंत प्रदर्शन किया.
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चर्चा की गई. जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद भारतीय सेवा ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत बड़ी कार्रवाई की है. पाकिस्तान के 24 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से बेस्तनाबूत कर दिया है. बढ़ती चुनौतियों के बीच एक सशक्त और जागरूक नागरिक के रूप में स्वयंसेवकों की भूमिका अहम हो जाती है. सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के इस रोमांचक प्रदर्शन ने लोगों को न केवल जागरूक किया, बल्कि उनमें सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी का भाव भी जागृत किया.
साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान शहर में वास्तविक ब्लैकआउट हुआ था. तब से आज तक इसका अभ्यास नहीं हुआ. लगभग पांच दशक बाद 7 मई 2025 को नागरिक सुरक्षा द्वारा मॉक ड्रिल किया गया. ब्लैकआउट मॉकड्रिल उपनियंत्रक सत्य प्रकाश सिंह व चीफ वार्डेन डॉ. संजीव गुलाटी के निर्देशन में आयोजित किया गया.