गणित और सांख्यिकी विभाग में 2024
गुरुत्वाकर्षण एवं ब्रह्मांड विज्ञान विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुया
गणित और सांख्यिकी विभाग एवं आईकार्ड,
भौतिक विभाग दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला “गुरुत्वाकर्षण एवं ब्रह्मांड विज्ञान” का उद्घाटन बुधवार दिनांक 23 अक्टूबर 2024 को शुरू हुया! यह कार्यशाला तीन दिवसीय, जो 23-25 अक्टूबर, 2024 तक चलेगा! ब्रह्मांड विज्ञान और गुरुत्वाकर्षण के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति पर गहन चर्चा की पेशकश करता है! कार्यशाला का उद्घाटन समारोह सुबह 10:00 बजे गणित एवं सांख्यिकी विभाग में हुआ।
गणित और सांख्यिकी विभाग में
जिसमे मुख्य अतिथि जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं ब्रह्मांड
वैज्ञानिक सोबेनॉय चक्रवर्ती एवं आयुका प्रतिनिधि डॉ अप्रतिम गांगुली रहे! कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रति कुलपति प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी ने किया तथा अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय शंकर वर्मा ने किया एवं प्रोफेसर सुधीर कुमार श्रीवास्तव ने विभाग का परिचय देते हुए विभाग की उपलब्धियों के बारे में बताया ! समन्वयक डॉ राजेश कुमार ने कार्यशाला का परिचय देते हुए प्रतिभागियों को होने वाले सभी तकनीकी सत्रों से अवगत कराया!
कार्यक्रम का संचालन डॉ जुली श्रीवास्तव एव धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजेश पांडे ने किया!
दिनाँक 23 अक्टूबर को कार्यशाला में चार तकनीकी सत्र हुए जिसमे जादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं ब्रह्मांड वैज्ञानिक सोबेनॉय चक्रवर्ती ने आइंस्टीन फील्ड समीकरण पर एक गहन व्याख्यान दिया। इस समीकरण, जिसे आइंस्टीन की सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के आधार पर विकसित किया गया था, ने ब्रह्मांड की संरचना और उसके विकास को समझने में क्रांतिकारी योगदान दिया है।
आयुका पुणे के वैज्ञानिक डॉ अप्रतिम गांगुली ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों और आइंस्टीन के सिद्धांतों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।अप्रतिम गांगुली ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के डेटा विश्लेषण पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने LIGO इंटरफेरोमीटर के बारे में बताया, जिसने पहली बार गुरुत्वाकर्षण तरंगों का सफलतापूर्वक पता लगाया था। यह उपलब्धि ब्रह्मांड विज्ञान में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर थी, जिसने वैज्ञानिकों को गुरुत्वाकर्षण तरंगों का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया। प्रोफेसर गांगुली ने प्रतिभागियों को गुरुत्वाकर्षण तरंगों के सिग्नल का विश्लेषण करने के बारे में भी बताया। उन्होंने सिग्नल और शोर के बीच अंतर करने की महत्वपूर्ण प्रक्रिया पर जोर दिया, जो डेटा की सटीक व्याख्या के लिए आवश्यक है। इस सत्र ने छात्रों और शोधकर्ताओं को गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पहचान और विश्लेषण की तकनीकों में गहराई से समझने का अवसर प्रदान किया, जो ब्रह्मांडीय घटनाओं के अध्ययन में अत्यधिक उपयोगी है। इस सत्र ने न केवल डेटा विश्लेषण की जटिलताओं को उजागर किया, बल्कि वास्तविक समय में गुरुत्वाकर्षण तरंगों को पहचानने के महत्व को भी रेखांकित किया।
नेहू शिलांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिबितेश दत्ता ने ज्यामिति और सामान्य सापेक्षता
(General Relativity) पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे ज्यामिति और भौतिकी का गहन संबंध है, और आइंस्टीन की सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत में यह संबंध गुरुत्वाकर्षण को समझने के लिए आधारशिला का काम करता है।.
प्रोफेसर दत्ता ने समझाया कि सामान्य सापेक्षता में, गुरुत्वाकर्षण को किसी बल के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे समय और स्थान (स्पेस-टाइम) की ज्यामिति का परिणाम माना जाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह भी बताया कि कैसे स्पेस-टाइम की वक्रता, बड़े खगोलीय पिंडों जैसे सितारे और ग्रहों के द्रव्यमान के कारण होती है, और इस वक्रता का प्रभाव ब्रह्मांड के विकास पर पड़ता है।प्रतिभागी विभिन्न सत्रों के माध्यम से महत्वपूर्ण चर्चाओं में शामिल हुए!
प्रतिभागियों ने वक्ताओं से गुरुत्वाकर्षण एव ब्रह्मांड विज्ञान विषय पर चर्चा किया एवं अपनी जिज्ञासा को शांत किया !
कार्यशाला के समन्वयक डॉ राजेश कुमार ने बताया कि कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के अलावा, पंजाब, बिहार, इंदौर, कोलकाता, बैंगलोर से प्रतिभागी भाग लेने आए है!
कार्यशाला में डॉ त्रिलोकी नाथ, डॉ राजेश पांडे, डॉ ज्ञानवेन्द्र प्रताप सिंह,डॉ विकास राणा, डॉअर्चना सिंह, डॉविवेक शर्मा, डॉ जितेंद्र कुशवाहा , डॉअपरा त्रिपाठी, डॉसुशील कुमार, डॉएम पी सिंह अन्य शिक्षकगण भी मौजूद रहे।