उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त डा० राजकुमार विश्वकर्मा ने आयोग के करोड़पति कनिष्ठ लिपिक को बचाने के लिए रची आपराधिक साजिश …!!!
संजय आजाद ने सूचना मांगी थी जन सूचनाधिकारी कार्यालय प्रमुख सचिव, सतर्कता उ०प्र०शासन से…!
आयोग ने नोटिस जारी कर दी जनसूचनाधिकारी, कार्यालय प्रशासनिक सुधार विभाग और सचिव उ०प्र० सूचना आयोग को…!!!
बताते चलें कि सूचना आयोग के एक भ्रष्ट कनिष्ठ लिपिक के विरूद्ध आय से अधिक चल-अचल सम्पत्तियां अर्जित किए जाने के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर सतर्कता विभाग में शिकायत दर्ज कराई थी। पूर्व में दर्ज कराई गई शिकायत के क्रम में जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सतर्कता विभाग के जन सूचनाधिकारी से सूचना मांगी गई थी।
सूचना आयोग के कक्ष सं०- 1 से भेजा गया मेल चौंकाने वाला दिखा। मेल द्वारा भेजी गई नोटिस में जहां जन सूचनाधिकारी, कार्यालय प्रमुख सचिव सतर्कता विभाग, उ०प्र० शासन होना चाहिए था वहां पर नोटिस में छपा दिखाई दे रहा है, – जन सूचनाधिकारी, कार्या०- प्रशासनिक सुधार विभाग, लखनऊ व 3 नंबर पर जन सूचनाधिकारी /सचिव, उ०प्र० राज्य सूचना आयोग, लखनऊ ।
अपीलार्थियों व शिकायतकर्ताओं का खुले रुप से कहना है कि जब से राजकुमार विश्वकर्मा ने पद को धारण किया है तभी से उनके द्वारा वृहद स्तर पर अनाप-शनाप गैर-कानूनी काम छुट्टा सांड माफिक किए जा रहे हैं ।
फिलहाल मुख्य सूचना आयुक्त ने जिस शातिराना अंदाज में हमारी अपील में कूटरचना करते हुए जो खेला किया है उसकी उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की तत्काल घोर आवश्यकता है । अन्यथा की स्थिति में राजकुमार विश्वकर्मा जैसे शातिर महाभ्रष्ट आयुक्तों के हाथों जिस शातिराना अंदाज़ से जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की ऐसी की तैसी की जा रही है, उसे देखकर पुख्ता तौर पर हम कह सकते हैं कि बहुत जल्द आरटीआई का नामोनिशान इस प्रदेश से मिटने वाला है ।
प्रियजनों की नजरों के सामने आयोग की षड्यंत्रकारी नोटिस महज़ इस उद्देश्य से शेयर कर रहा हूं ताकि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के तानाशाहों के भ्रष्टाचारी हाथों से किए जा रहे कुकृत्यों का खुलासा सार्वजनिक रूप से किया जा सके…!!!