एक्सरसाइज वेल अवसाद से मुक्ति का मूलमंत्र– प्रो. मंजू मिश्र,
अवसाद एवं चिन्ता कारण व निदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ,
ब्यूरो प्रभारी —-विनय तिवारी
बडहलगंज /गोरखपुर (निष्पक्ष टुडे):- स्थानीय महाविद्यालय नेशनल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज बड़हलगंज में “मिशन शक्ति फेज 05” के अंतर्गत “*महिलाओं में अवसाद एवं चिन्ता :कारण एवं निदान”* विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ।
इस संगोष्ठी की मुख्य वक्ता बापू पी जी कॉलेज पीपीगंज की प्राचार्या प्रो. मंजु मिश्रा ने यह बताया कि आज अवसाद एक गंभीर वैश्विक मानसिक समस्या बन चुकी हैं। जिसमें महिलाएं पुरुषों की तुलना में दुगनी संख्या में अवसादग्रस्त हैं। इसका कारण है कि महिलाओं का दायित्व बोध और ज्यादा संवेदनशील होना, शरीर और मन की स्थिति पर ध्यान नहीं देना है।
उदासी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है पर यह उदासी यदि दो हफ्ते दिन से ज्यादा हो तो यह गंभीर स्थिति है। बार-बार रोना ,किसी काम में मन न लगना, आत्महत्या का विचार आना अवसाद के लक्षण है। इसके तुरंत इलाज की जरूरत है। हमारे देश में मानसिक बीमारी को छुपाने की एक बड़ी गलत आदत है। अवसाद से मुक्ति के लिए उन्होंने मूल मंत्र देते हुए कहा कि इट वेल, स्लीप वेल,थिंक वेल
एक्सरसाइज वेल पर हमें काम करना होगा।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत तरीके हुई। सबसे पहले माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन हुआ।
छात्रा मीरा यादव ने सरस्वती वंदना और अन्य छात्राओं ने स्वागत गीत से अतिथि का सत्कार किया। मिशन शक्ति कार्यक्रम की प्रभारी डॉ पूजा नायक ने मिशन शक्ति के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि समाज की आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर लड़कियों और महिलाओं को उनकी सुरक्षा और देखभाल के लिए सेवाएं उपलब्ध कराना साथ ही साथ दीर्घकालिक और अल्पकालिक योजनाओं के द्वारा उनका सशक्तिकरण करना है।
कार्यक्रम के एक अन्य वक्ता परितोष त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में यह बताया कि पूरी दुनिया बेहतर जीवन शैली अपनाने की बात कर रही है और हर हाल में खुश रहने की बात कर रही है। जबकि भारतीय ज्ञान परम्परा का मूलतत्व आनंद धर्मी, उत्सव धर्मी होना रहा है। एक अन्य वक्ता डॉ. योगेन्द्र तिवारी ने वागभट्ट की चर्चा करते हुए अवसाद के कारणों और निदान पर प्रकाश डाला। डॉ. रुचिका श्रीवास्तव ने अवसाद सहित मानसिक रोगों के इलाज में संगीत की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए यमन राग को प्रस्तुत किया। कॉलेज के प्राचार्य प्रो.राकेश कुमार पांडेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा अवसाद सहित कई मानसिक रोगों की वजह पश्चिमी जीवन शैली का अंधाधुंध अनुकरण है। जबकि भारतीय संस्कृति, भारतीय ज्ञान परंपरा ,भारतीय संयुक्त परिवार की जीवन शैली अपनाने की जरूरत है। उन्होंने छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आइए-‘हम अपने जड़ों की ओर लौटे, अपने मूल की ओर लौटे। कार्यक्रम में आभार ज्ञापान डॉ. अर्चना दुबे ने किया। मंच का संचालन डॉ. दिव्या शर्मा ने किया। इस अवसर पर अन्य आचार्य गण डॉ .अजय कुमार मिश्रा,डॉ. त्रिपुरेश कुमार त्रिपाठी, डॉ प्रीति श्रीवास्तव, डॉ प्रीति सिंह, डॉ, खुशबू राज, डॉ. सूफिया खातून,डॉ. सुषमा यादव सहित बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।