गोरखपुर। गाय पशु नही साक्षात देवी हैं। जैसे पुत्र के लिए उसकी मां स्त्री नही बल्कि देवी होती हैं। उसी प्रकार गाय हमारे लिए पशु नही माता हैं। गौ माता जैसा परोपकारी कौन हो सकता जो अपने बच्चे के हिस्से का दूध हमे देकर हमारा पोषण करती हैं। ऐसी मां सदृशा गौ माता को आवारा कहना हमारे देश धर्म के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। गाय के लिए जो पहले गोचरभूमि थी उसपर तो लोगो ने कब्जा कर रखा आखिर वो कहा जाएं? क्या उन्हे जीने का अधिकार नही?
उक्त बातें गगहा विकास खंड के ढ़रसी ग्राम में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से पधारे परम पूज्य आचार्य आनन्द जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं से निवेदन करते हुए कहा हर एक हिन्दू के घर की शोभा गौ माता और श्री तुलसी जी के पौधे से होती है।
हर एक सनातनी का धर्म है कि अपने घर गौ माता को जरूर रखे ।उनकी सेवा जरूर करें। समस्त तीर्थो में वास करने, बड़े बड़े यज्ञ, अनुष्ठान करने से जो फल मिलता है, वो फल केवल वेद लक्षणा देशी गौ माता की सेवा से ही मिल जाता। गौ माता साक्षात काम धेनु है ये मनुष्य के समस्त कामना को पूरा करने में समर्थवती हैं। गाय का दूध तो इस पृथ्वी का अमृत है। गाय के दूध का बराबरी कोई भी वस्तु नही कर सकती। गैया और मैया में कोई विशेष अन्तर नहीं हैं दोनो अपने पुत्रों को हृदय के रस को पिला कर उनका पोषण करती हैं। विदेशो में देशी गौ माता के गौ मूत्र से अनेकों औषधीया बनाई जाती हैं। जो कैंसर जैसे असाध्य रोगों को नष्ट करता हैं। गाय के बिना सनातन हिन्दू धर्म की कल्पना ही नही की जा सकती। महाराज श्री ने लोगो से अनुरोध करते हुवे कहा की घर पर देशी गाय जरूर रखे। नित्य सेवा करे। जब घर पर भोजन बने तो पहली रोटी गाय को जरूर खिलाए जिससे अन्ना का दोष दूर हो जाता। हमारा भोजन पवित्र हो जाता है। महराज श्री ने विशेष रूप से आग्रह किया कि ये जो जर्सी गाय है ये संकर जाति की है इसकी नही बल्कि वेद लक्षणा देशी गाय को घर रखे और सेवा करे।
इस अवसर आचार्य अतुल दूबे जी, आचार्य शशिकांत मिश्र जी,मुख्य यजमान श्री घनश्याम तिवारी जी व श्रीमती गिरिजा देवी जी, अभिषेक शुक्ल, योगेश तिवारी, वैभव तिवारी अमित ओझा,राम नगीना तिवारी, रमेश तिवारी, रत्नाकर तिवारी ,अनूप दुबे, राधेश्याम तिवारी, सुधाकर तिवारी नीरज शुक्ला,पिंटू शुक्ला, अभिनन्दन शुक्ला,, संतोष शुक्ला,शिव शंकर ओझा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
गाय पशु नही साक्षात देवी हैं : आचार्य आनन्द जी महाराज
गोला। गाय पशु नही साक्षात देवी हैं। जैसे पुत्र के लिए उसकी मां स्त्री नही बल्कि देवी होती हैं। उसी प्रकार गाय हमारे लिए पशु नही माता हैं। गौ माता जैसा परोपकारी कौन हो सकता जो अपने बच्चे के हिस्से का दूध हमे देकर हमारा पोषण करती हैं। ऐसी मां सदृशा गौ माता को आवारा कहना हमारे देश धर्म के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। गाय के लिए जो पहले गोचरभूमि थी उसपर तो लोगो ने कब्जा कर रखा आखिर वो कहा जाएं? क्या उन्हे जीने का अधिकार नही?
उक्त बातें गगहा विकास खंड के ढ़रसी ग्राम में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन वृंदावन से पधारे परम पूज्य आचार्य आनन्द जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं से निवेदन करते हुए कहा हर एक हिन्दू के घर की शोभा गौ माता और श्री तुलसी जी के पौधे से होती है।
हर एक सनातनी का धर्म है कि अपने घर गौ माता को जरूर रखे ।उनकी सेवा जरूर करें। समस्त तीर्थो में वास करने, बड़े बड़े यज्ञ, अनुष्ठान करने से जो फल मिलता है, वो फल केवल वेद लक्षणा देशी गौ माता की सेवा से ही मिल जाता। गौ माता साक्षात काम धेनु है ये मनुष्य के समस्त कामना को पूरा करने में समर्थवती हैं। गाय का दूध तो इस पृथ्वी का अमृत है। गाय के दूध का बराबरी कोई भी वस्तु नही कर सकती। गैया और मैया में कोई विशेष अन्तर नहीं हैं दोनो अपने पुत्रों को हृदय के रस को पिला कर उनका पोषण करती हैं। विदेशो में देशी गौ माता के गौ मूत्र से अनेकों औषधीया बनाई जाती हैं। जो कैंसर जैसे असाध्य रोगों को नष्ट करता हैं। गाय के बिना सनातन हिन्दू धर्म की कल्पना ही नही की जा सकती। महाराज श्री ने लोगो से अनुरोध करते हुवे कहा की घर पर देशी गाय जरूर रखे। नित्य सेवा करे। जब घर पर भोजन बने तो पहली रोटी गाय को जरूर खिलाए जिससे अन्ना का दोष दूर हो जाता। हमारा भोजन पवित्र हो जाता है। महराज श्री ने विशेष रूप से आग्रह किया कि ये जो जर्सी गाय है ये संकर जाति की है इसकी नही बल्कि वेद लक्षणा देशी गाय को घर रखे और सेवा करे।
इस अवसर आचार्य अतुल दूबे जी, आचार्य शशिकांत मिश्र जी,मुख्य यजमान श्री घनश्याम तिवारी जी व श्रीमती गिरिजा देवी जी, अभिषेक शुक्ल, योगेश तिवारी, वैभव तिवारी अमित ओझा,राम नगीना तिवारी, रमेश तिवारी, रत्नाकर तिवारी ,अनूप दुबे, राधेश्याम तिवारी, सुधाकर तिवारी नीरज शुक्ला,पिंटू शुक्ला, अभिनन्दन शुक्ला,, संतोष शुक्ला,शिव शंकर ओझा सहित अनेक लोग उपस्थित थे।