पितृ दोष, प्रेत व ऋण बाधा से मुक्ति प्रदान करती है, त्रिमंडी श्राद्ध
चित्र परिचय:
गोला।शास्त्र की मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति के अकाल मृत्यु व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोग कई पीढ़ियों तक पितृ दोष से मुक्ति नहीं पाते हैं। ऐसे में त्रिमिंडी श्राद्ध कर इन ज्ञात व अज्ञात आत्माओं को शांति प्रदान किया जा सकता है।
उक्त बातें आचार्य हरीश जी ने बताते हुए कहा कि त्रिमिंडी श्राद्ध कर के हम पितृ दोष, ऋण मुक्ति, प्रेत मुक्ति के साथ धन से सम्पन्न हो सकते हैं। तमोगुणी, रजोगुणी व सतोगुणी यह तीन प्रकार की प्रेतयोनियां होती हैं। सतोगुणी पिशाच विष्णु स्वरूप सात्विक प्रेत होते हैं, रजोगुणी ब्रह्मरूपी राजस प्रेत तथा तमोगुणी शिव स्वरूप तामसी प्रेत होते हैं। इन तीनों प्रकार के प्रेत योनियों के लिए त्रिमिंडी श्राद्ध आवश्यक होता है। इन दोषों के लक्षण संतान ना होना या हो कर मृत हो जाना, विकलांग होना, नौकरी या व्यापार में हानि होना, परिवार में स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत होना आदि हैं। कुण्डली में सभी ग्रह अच्छी स्थिती होने के बाद भी तमाम कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है तो यह पृत दोष के कारण ही होता है। समस्याओं से निपटारे के लिए त्रिमंडी श्राद्ध करना आवश्यक होता हे।