रक्षाबन्धन/ श्रावणी उपाकर्म सोमवार को।
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान”ट्रस्ट”के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय ने बताया कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा इस वर्ष 19 अगस्त सोमवार को रात्रि 12:28 तक है।
परन्तु दिवा1:25 तक भद्रा है अतः भद्रा के पश्चात् ही रक्षांबधन का पुनीत पर्व मनाया जायेगा। क्यों की भद्रा काल में रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व वर्जित है जैसे …”भद्रायाम् द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा”भद्रा में श्रावणी (उपाकर्म रक्षाबन्धन)व होलिका दहन नही होता चाहे वो कही की भी भद्रा हो अतः सोमवार को दिवा 1:25 बजे के बाद ही रक्षाबन्धन का पुनीत पर्व मनाया जाना शुभ होगा ॥
बहनों को चाहिए कि वह भाई को रक्षा बांधते समय भगवान गणेश का ध्यान कर उनसे मंगल की कामना करें। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय बताते है कि श्रावणी ( रक्षाबंधन ) का त्यौहार सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्यौहार माना गया है। इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमान को तथा बहनें अपने भाई को रक्षा बांध व तिलक लगाकर चिरंजीवी व सर्वत्र विजयी होने की कामना करते/ करती हैं। रक्षा बांधने का एक मन्त्र सर्व प्रचलित है”येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बल: तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल”। इसी मन्त्र से प्राचीन काल में द्रोपदी ने श्री कृष्ण को व देव गुरु वृहस्पति ने इन्द्र को रक्षा बांधी थी। इसी दिन श्रावणी का उपाकर्म ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है। जिसमें वेद पाठी ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के मन्त्रों द्वारा यज्ञोपवित की शुद्धि व प्रतिष्ठा करते हैं। जिससे वह यज्ञोपवीत पूरे वर्ष भर तेज व ज्ञान प्रदान करता है।।
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