सभी शोध प्रश्नों के उत्तर देने के लिए किये जाते हैं : डॉ मौसमी बोरल
गोरखपुर
दिग्विजयनाथ पी. जी. कॉलेज गोरखपुर एवं साइंस टेक इंस्टीटूट लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में ज़ूम एप के माध्यम से आयोजित सप्तदिवासिय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन मुख्य वक्ता डॉ मौसमी बोरल, एसोसिएट प्रोफेसर, सत्यप्रिय रॉय कॉलेज ऑफ एजुकेशन, कोलकाता ने विषय ” अनुसंधान डिज़ाइन, प्रकार एवं अनुसंधान दर्शन ” पर बोलते हुए कहा कि सामान्य तौर पर, सभी शोध प्रश्नों के उत्तर देने के उद्देश्य से किए जाते हैं। उत्तर दिए जाने वाले प्रश्न का प्रकार और उत्तर का उपयोग करने का तरीका यह निर्धारित करता है कि किस प्रकार का शोध किया जाना है। शोध डिजाइन वह ढांचा या वैचारिक संरचना है जिसके अंतर्गत शोध किया जाता है। इसमें शोध तत्व, पद्धतियाँ और प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं जिनका उपयोग शोधकर्ता अध्ययन करने के लिए करता है। यह शोधकर्ताओं को सफलता के लिए खुद को तैयार करने की अनुमति देता है। शोध डिजाइन में सही कार्यप्रणाली का चयन करना, सबसे उपयुक्त डेटा संग्रह विधियों का चयन करना और डेटा का विश्लेषण करने के लिए एक योजना (या रूपरेखा) तैयार करना शामिल है। संक्षेप में, एक अच्छा शोध डिजाइन हमें अपने शोध को संरचित करने में मदद करता है। मार्केटर्स शोध करते समय विभिन्न प्रकार के शोध डिजाइन का उपयोग करते हैं।
प्रो. ओम प्रकाश सिंह , प्राचार्य , दिग्विजयनाथ पी. जी. कॉलेज गोरखपुर ने सभी अतिथियों का स्वागत । कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर परीक्षित सिंह ने सभी अतिथियों सहित प्रतिभागियों के प्रति आभार ज्ञापन किया। संचालन आयोजन सचिव डॉ. धर्मेद्र कुमार यादव, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ऐंड फैमिली वेल्फेयर अंडर द मिनिस्ट्री ऑफ फैमिली वेल्फेयर, नई दिल्ली । कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती श्वेता सिंह (चैयरमेन मनराज कुंवर सिंह एजूकेशनल सोसाइटी) लखनऊ द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम में सह संयोजक डॉ सुशील कुमार सिंह,साइंस टेक इंस्टीट्यूट लखनऊ, महाविद्यालय के शिक्षक डॉ आर पी यादव, डॉ धरमचंद विश्वकर्मा, डॉ अनीता, डॉ विभा सिंह, डॉ नित्यानंद श्रीवास्तव, डॉ शुभ्रांशु शेखर सिंह, डॉ इंद्रेश पाण्डेय, डॉ पवन पाण्डेय सहित अन्य शिक्षकों सहित कुल 236 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। उक्त कार्यक्रम की जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ शैलेश कुमार सिंह ने दी।