लैंगिक समानता वाला समाज ही है महिलाओं के लिए सुरक्षित व स्वस्थ
चित्र परिचय:
गोला।उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत लैंगिक समानता हेतु प्रावधानों का प्रचार प्रसार एवं थर्ड जेंडर के मौलिक अधिकार तथा आपदा पीड़ित का अधिकार विषय पर विधिक साक्षरता व जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन तहसील गोला सभागार में किया गया।
मंगलवार को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व जनपद न्यायाधीश तेज प्रताप तिवारी द्वारा वहां उपस्थित महिलाओं, बालिकाओं आदि लोगों को बताया कि भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कानूनी तौर पर ‘तीसरे लिंग’ या ‘अन्य’ लिंग के रूप में मान्यता दी जाती है। उनका दर्जा किसी भी पुरुष या महिला के समान ही है। उनके पास भी समान अधिकार हैं। जिसमें भारत के संविधान के तहत अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करने का अधिकार भी शामिल है तथा लैंगिक समानता महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकती है। आर्थिक समृद्धि के लिए यह आवश्यक है। जो समाज महिलाओं और पुरुषों को समान मानते हैं वे अधिक सुरक्षित और स्वस्थ हैं। लैंगिक समानता एक मानव अधिकार है। आपदा चाहे मानव निर्मित हो या प्राकृतिक इस योजना में सरकारी एवं गैर-सरकारी एजेंसियों द्वारा पीड़ितों को तत्काल सहायता प्राप्त करवाना सुनिश्चित किया जाता है। आपदा प्रबंधन के बारे में सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। प्राधिकरण से आपदाग्रस्त पीड़ितों को मुफ्त कानूनी सहायता का प्रावधान उपलब्ध है, जो पीड़ित का संवैधानिक अधिकार है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में उपस्थित अपर जनपद न्यायाधीश व सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गोरखपुर द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा संचालित किये जा रहे विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में भी बताया गया तथा दिनांक 14 दिसंबर को जनपद गोरखपुर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया गया।
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इन लोगो ने भी व्यक्त किए अपने विचार…..
उक्त कार्यक्रम में प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गोरखपुर पीठासीन अधिकारी ग्राम न्यायालय गोला, तहसीलदार एवं क्षेत्राधिकारी गोला द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किये गये। वहीं कार्यक्रम के दौरान अधिवक्तागण, महिलाएँ व एलपीएम पब्लिक स्कूल की छात्राएं उपस्थित रहीं।
संवाददाता: वेद प्रकाश यादव