ब्यूरो प्रभारी —-विनय तिवारी
बड़हलगंज /गोरखपुर (निष्पक्ष टुडे):नेशनल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज बड़हलगंज में मंगलवार को पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक प्रभात फेरी का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं के अलावा जनमानस को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए जागरूक करना और उन्हें वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करना था। ____प्रभात फेरी को संबोधित करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए जरूरी है कि अधिक से अधिक वृक्षारोपण हो। ये वृक्ष धरती के फेफड़ों की तरह है। आज उपभोक्तावादी और भौतिकतावादी संस्कृति ने प्रकृति को उपभोग की वस्तु मानकर जिस तरह इसका अंधाधुंध दोहन किया है, वह संपूर्ण चर-अचर जगत के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। प्रो.पाण्डेय ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि प्रकृति अपनी ही चेतना का विस्तार है।वह अपना ही अंश है। इस मूल मंत्र को जब तक नहीं समझा जाएगा, तब तक पृथ्वी का संरक्षण नहीं हो पाएगा। प्रो.परितोष त्रिपाठी ने कहा कि हमें पश्चिम की संस्कृति से बचना होगा और प्रकृति संरक्षण की उस भारतीय ज्ञान परम्परा को अपनाना होगा जिसमे प्रकृति को जीव स्वरूप माना गया है। बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आप सभी का यह दायित्व है कि आप वृक्ष लगाए, वृक्षों का संरक्षण करें, वृक्षों की सेवा करें । डॉ अजय कुमार मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि पृथ्वी हम सब की है और हम सबको मिलकर इसके पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। यह व्यक्तिगत नहीं, सामूहिक जिम्मेदारी है। कार्यक्रम के संचालक डॉ. सुधीर कुमार शुक्ला ने प्रभात फेरी की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रकृति और हमारा जीवन सहअस्तित्व से ही सम्भव है। वह हमारी जरूरत को पूरी करने के लिए है,हमारे लालच को नहीं। डॉ. पूजा नायक ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रकृति हमारी सहचरी है और हम प्रकृति का सहचर बनकर ही प्रकृति और उसके पर्यावरण का बेहतर संरक्षण कर सकते हैं। इस अवसर पर बच्चों ने विभिन्न नारों एक वृक्ष दस पुत्र समाना,वृक्ष धरा का भूषण है, करता दूर प्रदूषण है,पेड़ लगाओ,जीवन बचाओ आदि से स्थानीय कस्बे को गुंजायमान कर दिया। यह प्रभात फेरी लोगों के लिए रोमांचक और आकर्षण का विषय भी रही। इस अवसर पर कॉलेज के आचार्यगण डॉ योगेंद्र तिवारी, डॉ दिवाकर त्रिपाठी, डॉ. विकास यादव डॉ. सतीश कुमार, डॉ. अजय सिंह, डॉ वीरभद्र तिवारी आदि उपस्थित रहे।