प्रयागराज, फरवरी 9, 2025: विश्व छात्र एवं युवा संगठन (WOSY) द्वारा मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT), इलाहाबाद में संस्कृति एवं संधारणीयता पर वैश्विक संवाद का आयोजन,
विश्व छात्र एवं युवा संगठन (WOSY) ने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT), इलाहाबाद में “संस्कृति एवं संधारणीयता पर वैश्विक संवाद” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस आयोजन में 25+ देशों के विशेषज्ञ, छात्र नेता, और विद्वान एकत्र हुए, जिन्होंने भारतीय संस्कृति में महाकुंभ के महत्व पर चर्चा की।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के राष्ट्रीय महासचिव श्री वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने महाकुंभ के इतिहास और महाकुंभ क्षेत्र में संधारणीयता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने छात्र संवाद के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर बल दिया और छात्रों से उनकी स्थानीय भाषाओं में बातचीत की।
उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता एवं अधिवक्ता राहुल त्यागी ने प्राचीन भारतीय न्यायशास्त्र की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को प्राचीन भारतीय न्यायशास्त्र, संधारणीयता और वैश्विक न्याय के सामंजस्य पर व्याख्यान दिया।
श्री शरद विवेक सागर जी ने “सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण: भविष्य के लिए अतीत को संजोना” विषय पर विचार व्यक्त किए और छात्रों से संवाद किया।
डॉ. नितिन शर्मा, अध्यक्ष, WOSY ने सांस्कृतिक सहयोग और संधारणीयता के प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और युवाओं को इन क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी की प्रेरणा दी। श्री शुभम गोयल, महासचिव, WOSY ने सम्मेलन के मुख्य विषय का परिचय दिया।
MNNIT के निदेशक प्रो. राम शंकर वर्मा ने भारत की सांस्कृतिक विविधता और “वसुधैव कुटुंबकम” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) की आज की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
समापन के अवसर पर, WOSY की राष्ट्रीय संयोजक सुश्री निकिता रेड्डी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। सम्मेलन ने सांस्कृतिक संरक्षण के महत्त्व को एक संधारणीय भविष्य के निर्माण में सफलतापूर्वक रेखांकित किया और WOSY के वैश्विक प्रभाव के लिए युवाओं को सशक्त बनाने के मिशन को सुदृढ़ किया।
इसके पश्चात्, 25+ देशों के 120+ प्रतिनिधियों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए महाकुंभ ले जाया गया, जहाँ उन्होंने संतों और संन्यासियों से मुलाकात की।