डिजिटल युग में हर हाथ में मोबाइल-टैबलेट फिर भी सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों का अवमूल्यन-क्षरण का कठिन दौर: योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महापुरुषों का कृतित्व होता है. यही वजह है कि किसी भी आयोजन में जाओ और गो-सेवा गौ रक्षा की बात होती है, तो स्वतः ही भाईजी का स्मरण हो जाता है. वह एक शाश्वत सत्य की व्यवस्था पर आधारित होता है वह देश काल और परिस्थिति से आवंटित होता है. वह जितना प्रासंगिक उसे समय था, उतना आज भी है. भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के कृतित्व 132 वर्षों बाद भी आज हमें उनकी याद दिलाते हैं. लेकिन आज हमारे लिए सबसे कठिन दौर चल रहा है. आज जब हम डिजिटल युग और डिजिटल मीडिया के युग की ओर बढ़ रहे हैं हर हाथ में टैबलेट और मोबाइल है. सामाजिक सांस्कृतिक मूल्य का अवमूल्यन हुआ है. सामाजिक समरसता कमजोर पड़ी है सांस्कृतिक मूल्यों को लेकर हमें चिंतन करने की जरूरत है. राष्ट्रीय आंदोलन के स्वर मद्धिम पड़ते दिखाई दे रहे हैं. हमारी स्थिति क्या है इस पर हमें विचार करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को गीता वाटिका में भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की 132 में जयंती के अवसर पर लोगों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार और राधा बाबा के कार्यों को याद करते हुए लोगों को उनसे प्रेरणा लेने की सीख दी. उन्होंने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि दोनों ही महापुरुषों ने गोरखपुर को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुनकर पूरा जीवन समर्पित कर दिया. सन 1932 में जब आजादी के आंदोलन के स्वर साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में आगे बढ़ रहे थे, उसे दौर में भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने कल्याण पत्रिका के आदि संपादक के रूप में कार्य करते हुए इस सांस्कृतिक आंदोलन को आगे बढ़ाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि कई ऐसे अवसर आए जब अंग्रेजों के गुलामी के दौर में कल्याण पत्रिका को जप्त कर लिया गया लेकिन भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की साहित्य साधना को वह नहीं रोक पाए.
आज उनकी 132वीं जयंती पर हम उन्हें याद कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने सारा जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. सनातन हिंदू धर्म और लोगों की रक्षा के लिए उन्होंने ऐसा मार्ग चुना जिस मार्ग पर चलते हुए उन्हें ने न सिर्फ सामान सनातन धर्म की रक्षा की बल्कि लोगों को इससे प्रेरणा लेने की सीख भी दी. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि जब गीता प्रेस के प्रबंध समिति के लोग उनके पास गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह और भाई जी जयदयाल को गोयन्दका की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह के आयोजन को लेकर चर्चा करने आए तो उन्होंने कहा कि कोई भी कार्यक्रम ऐसे भाव नहीं होता है उसके लिए पूरे मनोयोग से लगना पड़ता है. गीता प्रेस की स्थापना के उद्देश्य को देखते हुए इसका शताब्दी वर्ष पूरी भव्यता के साथ मनाया जाना चाहिए. तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समारोह में आए. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आगमन हुआ और इसके पहले ही गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिला. यह बताता है कि सनातन धर्म और उसके ग की रक्षा के लिए जिस तरह से भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार और अन्य लोगों ने योगदान दिया है उसी का परिणाम है कि आज हम सनातन धर्म और उसकी रक्षा के संकल्प के उनके उद्देश्यों के बारे में आज यहां चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने किसी महान कार्य को आगे बढ़ाया है जिसके फल स्वरुप 132 वीं जयंती पर आज हम उनका स्मरण कर रहे हैं.