संवाददाता– एस.पी. सिंह
गोरखपुर/सहजनवा ।
ग्राम सभा हरपुर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत के दौरान पांचवे दिन सुप्रसिद्ध कथा व्यास आचार्य प्रवीण पांडेय जी महाराज नें कहा कि कलियुग दोषों का खजाना है, पर इसमें एक महान गुण है कि जो सतयुग में समाधी लगानें से त्रेता में यज्ञानुष्ठान द्वापर में सत्संग पुराणादि के कथा सुननें मिलता था, वही कलियुग में भगवान के नाम का आश्रय लेनें पर मिल जाता है “कलौ तद्धरिकिर्तनात्” राजा परीक्षित को श्राप शुकदेव भगवान के आगमन की कथा सुनाते हुए कथा व्यास नें कहा मनुष्य अपनें जो भी कुछ करता है । उसका फल अवश्य मिलता है कोई भी किसी के सुख दुख के कारण नहीं होतें है । बल्कि उसी के पाप पुण्य ही सुख दुख के कारण बन जाते हैं । मनुष्य का जीवन बड़ा ही दुर्लभ है हमें प्राप्त हुआ है अगला योनी कौनी सी मिलेगी इसके लिए सतत् प्रयत्नशील रहना चाहिए जिससे आप इससे भी बढ़िया योनी प्राप्त कर सकैं जीव तत्व का विशद विवेचन करते हुए कहा कि जीवात्मा अजर अमर है वह शरीर के मारें जानें के बाद भी नहीं मरता हैं । वह दूसरा शरीर धारण कर लेता है जैसा आपका कर्म होता है तदनुरूप इसलिए मनुष्य को सदा सत्कर्म करते रहना चाहिए हिरण्याक्ष बध बाराह भगवान के अवतार की कथा सृष्टि का सृजन किस प्रकार हुआ बतातें हुए आचार्य प्रवीण पांडेय जी नें बताया कि भगवान नें ब्रह्मा जी को तप करनें का आदेश दिया और चतुष्श्लोकी भागवत का उपदेश कर ब्रह्मा के अन्दर संपुर्ण ज्ञान का भण्डार भर दिया और ब्रह्म जी ने सृष्टि की रचना किया और जिसमें मनु-शतरूपा के पुत्रियों की कथा के मध्य आकुती प्रसूती देवहूति उत्तानपाद प्रियब्रत ध्रुव की कथा सुनकर श्रोता भावविभोर हो उठे ।