मुक्ति पथ पर सजी सुरों की महफिल
देर रात तक श्रोताओं ने उठाया लुत्फ
बड़हलगंज/ गोरखपुर (निष्पक्ष टुडे):- बड़हलगंज के सरयू तट पर निर्मित दुनिया के अनूठे श्मशान घाट मुक्ति पथ पर चल रहे सरयू अमृत महोत्सव के दूसरे दिन रात्रि में जनपद के नामचीन शायर स्व.रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की स्मृति में देश के नामचीन कवियों की उपस्थिति में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। मंच पर देर रात तक प्रेम, ओज, श्रृंगार,वीर रस की स्वर लहरियों में श्रोता गोता लगाते रहे तो बीच बीच में संचालक के चुटीले चुटकुलों भरी पंक्तियों ने हास्य का खूब शमां बांधा। श्रोता तालियां बजाने को विवश हो जाते थे। __कवि सम्मेलन का प्रारम्भ विधायक चिल्लूपार राजेश त्रिपाठी, चेयरमैन प्रीति उमर व उनके प्रतिनिधि महेश उमर द्वारा आगंतुक कवियों को अंग वस्त्र,तुलसी,रोली, कुमकुम दे सम्मान के साथ हुआ। कवि सम्मेलन के संयोजक स्थानीय युवा कवि निर्भय निनाद द्वारा संचालन बाराबंकी से आए कवि विकास बौखल को दिया गया और आते ही वे हास्य के गोलों के साथ आम जीवन से जुड़ी कविताएं सुना श्रोताओं की वाहवाही लूटी। उनकी कविता “अपने दामन को भिगोती चली जाती है, ये जिन्दगी है, रोती है तो रोती चली जाती है। खूब सराही गई। बौखल की ही कविता ” झंडी हरी वो दिखाने लगी है,मुहब्बत मेरी रंग लाने लगी है,नंबर दिया जिस हसीना को था,उसके अम्मा की मिसकॉल आने लगी है, पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई। क्षेत्रीय युवा कवि डा. निर्भय निनाद की कविता “तरीके तौर जीवन के बुजुर्गों से करो हासिल,
तजुर्बे ज़िंदगी जीने के गूगल पर नहीं मिलते,श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी तो गोरखपुर की मशहूर कवियित्री डा.चेतना पाण्डेय की सरस्वती वंदना के साथ अयोध्या प्रभु श्री राम पर गाई कविता “तमाम खौफ निशानी में आकर बैठ गए, हमारे राम कहानी में आकर बैठ गए, लोगों में भक्ति रस का संचार करने में सफल रही। इस गीत पर श्रोता झूम उठे। नवोदित कवियित्री प्रियंका गुप्ता के गीत”किसी को अपने माथे की बस बिंदिया अच्छी लगती है,और किसी को दिन में भी बस निंदिया अच्छी लगती है। लेकिन माता पिता से पूछो उनके हिस्से का सुख, वो बोलेंगे, बस हंसती अपनी बिटिया अच्छी लगती है। दर्शकों द्वारा खूब सराही गई। इसके बाद मंच पर लखनऊ से आए कवि अभय सिंह निर्भीक ने वीर रस की कविताओं को सुना श्रोताओं में जोश भर दिया। उनकी कविता “भारत श्वेत कपोतों से ही कश्ती खेता आया है, बारम्बार पड़ोसी हमको धोखा देता आया है, शांति शान्ति के चक्कर में हम बहुत दिनों तक छले गए, कोट के ऊपर लाल गुलाबों के दिन अब चले गए, खूब सराही गई और इन्हें श्रोताओं की भरपूर तालियां मिलीं। अध्यक्षता कर रहे नेताजी लपेटे फेम इटावा से चलकर आए अंतर्राष्ट्रीय कवि गौरव चौहान ने माइक पर आते ही “मेरो बाबा बहुत निरालो चढ़के बुल्डोजर पर आओ” सुनाया। इस कविता को सुन श्रोता बेकाबू हो उठे और कुर्सियों से उठ जोरदार तालियां बजाई। इसके बाद गौरव चौहान ने कई कविताएं सुनाई जिसमें “जगत कल्याण के पथ पर सदा कल्याण वाले हैं, हमको गर्व है हम सब सनातन धर्म वाले हैं।” “अगर फैशन हुआ हाबी तो लज्जा हाथ में रक्खो,सदा मजबूत खुद को आज हाथ में रखो,दुपट्टा छोड़ रक्खे हो तो कट्टा हाथ में रखो” खूब सराही गईं। कवि सम्मेलन का यह क्रम देर रात तक चला और श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। अन्त में संयोजक निर्भय निनाद ने सभी को धन्यवाद देते हुए आगंतुक कवियों व दर्शकों का आभार व्यक्त किया।