बड़हलगंज/गोरखपुर (निष्पक्ष टुडे) बड़हलगंज रामायण हमें धर्म के पथ पर चलना सिखाती है। आप जहां भी रहे हैं वहां की अच्छाइयों को देखने का प्रयास करें। जीवन के केंद्र में धर्म व आध्यात्म का होना बहुत जरूरी है। जिसके जीवन में धर्म व सदाचार नहीं है वह इस धरती पर भार के समान है। राम कथा के श्रवण से प्रभु के आदर्श चरित्र व कृत्य को जानने और सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसे सुनकर हम अपने जीवन में उनके गुणों को आत्मसात कर सकते हैं। जिससे हमारा जीवन भी मर्यादित हो सके। अंधेरे को भगाने के लिए जिस प्रकार दीपक जलाना पड़ता है इसी तरह जीवन के अंधेरे को दूर करना है, परेशानी से बचते हुए जीवन को सुख-शांति और वैभव से आगे बढ़ाना है तथा जीवन को प्रकाशवान बनाए रखना है तो हमें मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की तरह आचरण करना होगा और उनके नाम का हर क्षण निरंतरता बनाए रखनी होगी,
यह बातें अंतरराष्ट्रीय कथावाचक राजनजी महाराज ने कही। वे नेशनल इंटर कालेज के मैदान पर शुरू हुए नौ दिवसीय रामकथा के पहले दिन उपस्थित श्रोताओं को कथा का रसपान करा रहे थे। कहा कि श्रीराम कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। निस्वार्थ भाव से की गई कामना रामकथा के श्रवण से पूरी हो जाती है। कलिकाल में राम नाम स्मरण व श्रीराम कथा श्रवण मात्र से ही जीव कष्टों से छुटकारा पा सकता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरित मानस के रूप में अमृत प्रदान किया है। आज के विसंगतिपूर्ण वातावरण में अगर श्रीराम के आदर्श को आत्मसात किया जाय तो आदर्श समाज की स्थापना होगी। भाव के साथ रामकथा को श्रवण करें, बेड़ा पार हो जायेगा। राजन जी ने कहा कि जीवन में नाम का विशेष महत्व है। फिर चाहे व्यक्ति विशेष का नाम हो चाहे स्थान का या प्रतिष्ठान का। जीवन मे जबतक निमित्त को मानते रहेंगे, अभिमान व अंहकार से बचे रहेंगे। गोस्वामी तुलसीदास ने मानस की रचना कर अपने मन मे रखी और उचित समय पर भगवान शिव के मुखारविंद से माता पार्वती को सुनायें। गोस्वामी जी कहते है कि रामचरित महादेव के मानस से प्रकट हुई है। रामकथा के श्रवण से मानव धन्य हो जाता है। आचार्य ने रामकथा के गुढ़ रहस्य को बताते हुए कहा कि जो वर्तमान को स्वीकार नही करते वह डिप्रेशन मे चले जाते है। इसलिए हर मनुष्य अगर वर्तमान ठीक रखे तो भविष्य अपने आप ठीक हो जायेगा,
जीवन मे वर्तमान को स्वीकार कर विश्राम करने वाला सुखी होता है। इसके पहले पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी, डा. ए एन चौबे, रानी चौबे, सूबेदार राय, तारा राय ने व्यास पीठ की आरती कर कथा आरंभ कराया। राम हर्ष गुप्ता, कमलेश सिंह, कुलदीप राय,राजीव,अजय, जितेंद्र, पीयूष,अनिल पांडेय, शैलेश शाही,नीरज, आदर्श,जय सिंह, गौरव,अमरीश , भूवनेश्वर चौबे, अजय दूबे, सुशील, आशीष तिवारी आदि मौजूद रहे।
https://youtu.be/TfMTAK9Yg68?si=QfFsb2SHwNA0r7PW
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